क्या पॉजिटिव थिंकिंग वाकई काम करती है? एक छोटे से शहर में, 10 साल का आनंद अपने माता-पिता और बहन कंचन के साथ रहता है। कंचन 20 साल की है। एक बार, आनंद अपने पिता से, होमवर्क में हेल्प मांगता है। लेकिन बिजी होने की वजह से, वो गुस्से में, उसे मना कर देते हैं। कुछ देर बाद, जब वो, बेटे के कमरे में जाते हैं, तो देखते हैं कि वो सो रहा है और उसके हाथ में एक नोट बुक है। उन्होंने नोटबुक हटाने की कोशिश की, तो उसमें एक निबंध लिखा था, जिसका विषय था- वो चीजें, जो शुरू में हमें अच्छी नहीं लगती, लेकिन उनका परिणाम अच्छा लगता है।
पिता ने आगे पढ़ना शुरू किया। बच्चे ने लिखा था कि मुझे फाइनल एग्जाम पसंद नहीं हैं, लेकिन उसके बाद पड़ने वाली छुट्अियां बहुत अच्छी लगती हैं। दवाई कड़वी लगती है, लेकिन उसे खाने के बाद मैं हमेशा ठीक हो जाता हूं। मुझे मेरे पिता जी डांट बुरी लगती है, लेकिन उसके बाद वो हमेशा मुझे प्यार से मनाते हैं, मेरी पसंद का खाना खिलाते हैं और घूमने ले जाते हैं। उसके पिता ने सोचा कि मैं भी, इस विषय पर लिख कर देखता हूं। उन्होंने लिखा- मुझे घर की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है, लेकिन अच्छा है कि मेरे पास मेरा परिवार है। मैं उन लोगों की तरह अनलक्की नहीं हूं, जिनके परिवार नहीं होते। घर पर हमेशा रिश्तेदार आते हैं, उनकी वजह से परेशानी होती है, लेकिन भगवान का धन्यवाद कि मैं अकेला नहीं हूं, मुसीबत में काम आने के लिए, मेरे पास ये लोग हैं। खुशी में उन्होंने, अपने बेटे को धन्यवाद कहा।
इस कहानी का सार सिर्फ यही है कि अगर हम, चीज के सिर्फ नेगेटिव पहलु को देखेंगे, तो उन्हीं से घिरे रहेंगे। परेशानी और चिंता को खत्म करना चाहते हैं, तो उसकी पॉजिटिव साइड भी देखें।